शिक्षा किसी भी व्यक्ति को वो पूंजी होती है जो उसका साथ जीवनभर देती है। यदि कोई व्यक्ति शिक्षा से वंचित रहता है तो इससे उसके आसपास के समाज में भी इसका गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। एक शिक्षित समाज अपनी सभ्यता, संस्कृति इत्यादि को ज्यादा बेहतर तरीके से जानने का प्रयास करता है साथ ही समाज से जुड़ी बुराईयों को समाप्त करने का भी प्रयास करता है। इसीलिए भारतीय परिवेश में शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया गया है। यदि हम प्राचीन भारतीय परिवेश की बात करते हैं तो पाते हैं कि किस प्रकार प्राचीन भारतीय समाज ने अपनी सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ-साथ शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया।
कहते हैं कि शिक्षा ही एक मात्र अस्त्र है जो व्यक्ति, समाज के साथ-साथ पूरे विश्व को नई दिशा दे सकता है। अब हम बात करते हैं आज के शिक्षा का और उससे विकसित समाज का।
एक प्रश्न यहां उठता है कि क्या जो शिक्षा आज का युवा ग्रहण कर रही है, क्या वो सही मायने में शिक्षा का वो रूप ही है जिसके बारे में प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में जिक्र किया गया है? इसका जवाब है नहीं! तो फिर सवाल ये है कि आखिर आज की युवा पीढ़ी शिक्षा के कौन से रूप को ग्रहण कर रही है? इसका जवाब है व्यावसायिक शिक्षा। एक ऐसी शिक्षा जो व्यावसाय या नौकरी पाने में मदद करता हो।
हालांकि वर्तमान जरूरत के साथ इस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है लेकिन इसके साथ-साथ आने वाली हमारी युवा पीढ़ी के नौजवानों को प्राचीन काल में दी जाने वाली शिक्षा को ग्रहण करना चाहिए। जिसमें व्यावहारिक, सांस्कृतिक इत्यादि शिक्षा आती है। आज के युवा वर्ग में इन सभी शिक्षा का अभाव दिखता है। वे किताबों को रटकर बड़े -बड़े संस्थानों में नौकरी तो प्राप्त कर लेते हैं। लेकिन उनके पास व्यावहारिक ज्ञान की कमी होती है। इस वजह से हमारे नौजवानों को उनके जीवन में समाजिक, व्यावहारिक, निजी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि हम सचमुच अपने देश को आगे ले जाना चाहते हैं तो हमेंं आज व्यावसायिक शिक्षा के साथ-साथ अपने बच्चों को शिक्षा के अन्य माध्यमों से परिचय करवाना पड़ेगा।
यदि ऐसा करने में हम सफल होते हैं तो ये निश्चित रूप से हमारे लिये गर्व की बात होगी। देश सांस्कृतिक और समाजिक रूप से नित्त नई ऊचाईयों को छू सकेगा। शिक्षा किसी भी प्रकार की विकास और उन्नति के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। शिक्षा के अभाव में कुछ भी महत्वपूर्ण और अर्थपूर्ण हासिल नहीं किया जा सकता। अत: हमें शिक्षा के महत्व को समझते हुए इसपर ध्यान देने की जरूरत है और अपने आने वाले भविष्य को इस बात से अवगत कराने की जरूरत है कि शिक्षा ही सर्वोपरि है। अगर ये व्यक्ति के पास है तो मनुष्य के पास सबकुछ है।