केंद्र सरकार ने राइट टू एजुकेशन का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रही है। केंद्र सरकार शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के दायरे बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। केंद्र सरकार की मंशा है कि राइट टू एजुकेशन कक्षा एक से आठवीं तक से बढ़ाकर इसे नर्सरी से लेकर 12वीं तक किया जाए। इसके लिए केंद्र सरकार और राज्यों के शिक्षा मंत्री के बैठक में फैसला लिया जाएगा। यह बैठक अगले हफ्ते होने वाली है। बता दें कि यह संस्था केंद्र और राज्य दोनों की सम्मलित संस्था है और इसे कैब (सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन) के नाम से जाना जाता है।
अगले हफ्ते केंद्र सरकार और राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के बीच होने वाली बैठक में निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों के लिए दी जाने वाली ईडब्ल्यूएस कोटे को खत्म करने पर भी विचार हो सकता है। इस कोटे के तहत केंद्र सरकार निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च करती है। उत्तराखंड और मध्यप्रदेश के राज्य सरकार ने सुझाव दिया है कि इस कोटे को खत्म कर इस पैसे का इस्तेमाल सरकारी स्कूलों की स्थिति को बेहतर बनाने में किया जाय। ऐसी संभावना है कि मंत्रियों के समूह की बैठक में सरकार इसे खत्म करने पर सहमत हो सकती है।
बता दें कि अभी तक शिक्षा का अधिकार कानून के तहत कक्षा एक से लेकर कक्षा 8 तक के छात्रों को अनिवार्य शिक्षा का लाभ मिलता है। कई राज्यों ने इसका दायरा बढ़ाकर कक्षा एक से पहले की कक्षाओं में भी करने की मांग की है। इस मांग पर फिलहाल 12 राज्यों ने अपनी सहमति दी है। इसके पक्ष में राज्यों का कहना है कि अभिभावक लाखों रूपये खर्च कर नर्सरी क्लास की सीट लेते हैं अपने बच्चों के लिए। लेकिन यदि शिक्षा का अधिकार कानून का दायरा बढ़ा दिया जाये तो अभिभावकों के पास सरकारी स्कूलों में भी दाखिले का विकल्प होगा।
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मंत्रियों के समूह कैब की बैठक 11 जनवरी से शरू होने वाली है। इस बैठक में इस विषय पर फैसला लिया जा सकता है। इसकी अध्यक्षता मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह करेंगे। इस बैठक में बिहार, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, गुजरात, मनीपुर, केरल, पश्चिम बंगाल और असम के शिक्षा मंत्री शामिल होंगे।