गौरवशाली अतीत लेकिन बिहार में शिक्षा की स्थिति दयनीय


बीते कुछ वर्षों में बिहार में शिक्षा के स्तर में कुछ बदलाव हुआ है। वर्तमान नीतीश सरकार ने बिहार की शिक्षा-व्यवस्था को सुधारने के लिए काफी कुछ प्रयास किया लेकिन फिर भी अभी भी बहुत कुछ किया जाना बांकी है। एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में प्रारंभिक शिक्षा की दशा में सुधार तो हुआ है लेकिन अब बहुत कुछ करना बांकी है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में शिक्षा की सुधारात्मक दिशा में स्कूली भवनों और शिक्षकों जैसी बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है। बता दें कि जिस रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है उसे नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने जारी किया है।
 
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि स्कूलों में शिक्षकों के पढ़ाने और छात्रों में सीखने की रूचि में कम है। हालांकि सरकारी योजनाओं की वजह से प्रारंभिक स्तर पर शिक्षा के प्रति लोगों के रूझान में वृद्धि हुई है। 

बिहार में शिक्षा के स्तर में गिरावट का एक और वजह है। यहां पर शिक्षकों की भारी कमी है खासकर योग्य शिक्षकों की। जो शिक्षक हैं भी वो अधिकांश समय स्कूल से घायब रहते हैं। सरकारी तंत्र में इन शिक्षकों पर लगान लगाने में खुद को असक्षम पाती है। यहां पर निगरानी करने वाली विद्यालय शिक्षा समिति भी निष्क्रिय है। इस वजह से यहां की शिक्षा व्यवस्था बदहाल है। 

नोबेल विजेता अमर्त्य सेन ने बिहार की शिक्षा पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि "एक तरफ बिहार का गौरवशाली शैक्षणिक अतीत है और दूसरी ओर आज राज्य का शैक्षणिक पिछड़ापन। ये सचमुच बहुत कचोटने वाला विरोधाभास है।" हालांकि बिहार की प्रारंभिक शिक्षा में 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। अभी बिहार की शिक्षा में साक्षरता दर 63.8 प्रतिशत है राष्ट्रीय अनुपात के मुकाबले। शिक्षा में मामले में सबसे अव्वल स्थान पर है दक्षिण भारत का केरल राज्य। 


 यदि सरकार इन मुद्दों पर ध्यान दे तो निश्चित ही बिहार शिक्षा के क्षेत्र में परचम लहराएगा। 

 1.        बुनियादी सुविधाओं में वृद्धि करना
2.        योग्य शिक्षकों की व्यवस्था करना
3.        उच्च शिक्षा के स्तर पर व्यापक बदलाव करना
4.        ज्यादा से ज्यादा योग्य शिक्षकों के अनुपात को बढ़ाना
5.        समाज में लोगों को शिक्षा के महत्व को बताया और उन्हें प्ररित करना
6.        पारदर्शी व्यवस्था के जरिए योग्य शिक्षकों का चुनाव
7.        ग्रामीण स्तर पर स्कूल की व्यवस्था करना
8.        शिक्षकों और स्कूलों की निगरानी के लिए शख्त निगरानी तंत्र विकसित करना और नियंत्रित करना
9.        मौजूद योग्य शिक्षकों का ज्यादा से ज्यादा सेवा लेना इत्यादि

यदि राज्य सरकार इस तरह के तमाम मुद्दों पर गहराई से ध्यान दे तो निश्चित ही एक दिन ऐसा आयेगा कि फिर से बिहार इस दिशा में अग्रणी राज्य होगा।

Post a Comment

Previous Post Next Post
close