व्यावसायिकता के दौर में सामाजिक शिक्षा का नाश


शिक्षा मनुष्य के अंदर सदगुणों को विकसित करता है। शिक्षा से मनुष्य के अंदर नए विचारों, आकांक्षाओं का जन्म होता है। शिक्षा मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती है। इसी शिक्षा के बदौलत मनुष्य अच्छे बुरे के भेद को पहचान पाता है। एक शिक्षित मनुष्य के अंदर अच्छे संस्कारों को आसानी से भरा जा सकता है। शिक्षा ही वो मूलभूत वस्तु है जिसके सहारे मनुष्य आगे बढ़ता है। इसी की वजह से मनुष्य अन्य पशु-पक्षियों से खुद को भिन्न रखता है। यदि शिक्षा न हो तो मनुष्य भी उसी जानवर के सामान होता है जिसे भला-बुरा कुछ भी पता नहीं रहता है और उसकी बौद्धिक वृद्धि नहीं हो पाती है।

यदि किसी व्यक्ति ने शिक्षा नहीं लिया है तो उसे अपने जीवन में कई कठनाइयों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले पाता है। वर्तमान समय में क्षिक्षा का महत्व और तातपर्य बिलकुल ही बदल गई है। आज के आधुनिक परिदृश्य में शिक्षा का व्यावसायीकरण हो गया है। व्यावसायिक शिक्षा ही आज ज्यादा महत्वपूर्ण और प्रबल हो गया है। 

आज तमाम शैक्षणिक संस्थानों में व्यावसायिक शिक्षा को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। देश में मौजूद ज्यादातर संस्थान व्यावसायिक शिक्षा की ओर अपना रूझान कर चुके हैं। हालांकि सामाजिक शिक्षा की जरूरत समाज को आज भी है। यदि समाजिक शिक्षा का पूरी तरह से लोप हो गया तो वह समय उस समाज के लिए अत्यंत ही भयावह और विनाशक होगा।

भारत में ज्यादातर विश्विविद्यालय व्यावसायिक शिक्षा दे रहे हैं। परंपरागत और नैतिक शिक्षा का लोप हो गया है या यू कहें कि इसकी सीमा संकुचित हो गई है। भारत में शिक्षा उस समय से ही है जब मनुष्य का उदय हुआ था। भारत प्राचीन काल से ही शिक्षा का केंद्र बिंदू रहा है। पूर्वकाल में भारत में बड़े-बड़े विश्वविद्यालय भारत की शान में चार चांद लगाते थे। लेकिन समय के साथ सबकुछ धीरे-धीरे खत्म हो गया। अब उसकी सिर्फ अवशेष मात्र शेष रह गए हैं। 


वर्तमान समय में छात्र नैतिक शिक्षा के बजाय व्यावसायिक शिक्षा की तरह अपना झुकाव कर रहे हैं। इसके कई कारण हैं-

1.      समाज में व्यावसायिक शिक्षा को महत्व दिया जाना

भारतीय समाज में आजादी के बाद बड़े बदलाव हुए हैं। लोगों में सुख-सुविधाओं की चाहत बढ़ी है। जिसे पाने का एक मात्र सहारा है व्यावसायिक शिक्षा। बच्चे व्यावसायिक शिक्षा हासिल कर जॉब करते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ती करते हैं। समाज भी आजकल उन्हीं लोगों को ज्यादा महत्व देता है जिसके पास पैसे अधिक होते हैं।

2.      व्यावसायिक शिक्षा उपरान्त रोजगार मिलने में आसानी

बच्चों और छात्रों में व्यावसायिक शिक्षा को लेकर आकर्षण इस वजह से भी बढ़ी है क्योंकि व्यावसायिक शिक्षा हासिल करने के बाद उन्हें रोजगार मिलने में आसानी होती है। छात्र आज के दौर में नैतिक शिक्षा या सामाजिक शिक्षा से ज्यादा व्यावसायिक शिक्षा में रूचि लेते हैं। भौतिक सुख-सुविधाओं की चाहत ने मनुष्य को इस ओर धकेल दिया है।

3.      नौकरीपेशा लोगों को समाज में ज्यादा सम्मान मिलना

भारतीय समाज में भी आजादी के बाद बहुत परिवर्तन हुए हैं। आज समाज उनलोगों को ज्यादा इज्जत और मान-सम्मान देती है जिसके पास ज्यादा धन-संपदा हो। जो लोग किसी सरकारी संस्थान में रोजगार करते हैं उन्हें समाज सम्मान भरी नजरों से देखता है। वैसे लोगों की समाज में बड़ी इज्जत होती है। समाज ऐसे लोगों को अपने आंखों पर बिठाकर रखती है। नौकरीपेशा लोगों को ही समाज द्वारा पूछा जाता है। अन्य क्षेत्रों के लोगों का समाज में महत्व नहीं मिलता है या कम मिलता है।

ऐसे समय में जब व्यावसायिक शिक्षा की वजह से सामाजिक शिक्षा का नाश हो रहा है, उसे नई दिशा देने की आवश्यकता है। ताकि सामाजिक शिक्षा को बचाया जा सके। व्यावसायिक शिक्षा को पूरी तरह से हम खत्म नहीं कर सकते लिहाजा इसी शिक्षा में सामाजिक शिक्षा को भी निहित कर समाज में एक सार्थक मूल्य की स्थापना की जा सकती है।

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